बचपन की मासूमियत शायरी In Hindi English – यह शायरी का कलेक्शन बचपन की उन सुनहरी यादों को समर्पित है, जब जिंदगी बहुत सरल और खूबसूरत थी।
इन शायरियों में बचपन की बेफिक्री, मासूमियत, और नटखट शरारतों का एहसास पिरोया गया है। यह शायरियाँ आपको उस समय में ले जाएँगी, जब खिलौने सबसे बड़ा खजाना थे और दोस्तों के साथ बिताया गया हर पल एक अनमोल याद बन जाता था।

इन शब्दों में आप कागज की नावों, मिटटी के घरों, और बारिश में भीगने की खुशी को महसूस कर पाएंगे। यह शायरी हर उस दिल के लिए है जो आज भी अपने अंदर के बच्चे को जिंदा रखना चाहता है।
बचपन की मासूमियत शायरी
न थी दुनिया की फ़िक्र, न था कोई शिकवा,
बस था वो बचपन, जिसका हर पल था एक सपना।
Na thi duniya ki fikr, na tha koi shikwa,
Bas tha wo bachpan, jiska har pal tha ek sapna.
वो बारिश में कागज़ की नाव चलाना,
और छोटी-छोटी बातों पर ख़ुश हो जाना।
Wo baarish mein kaagaz ki naav chalana,
Aur choti-choti baaton par khush ho jana.
याद आता है वो बचपन, वो बेफ़िक्र हँसी,
जब जीवन की राहें थीं, हर पल नई-नई।
Yaad aata hai wo bachpan, wo befikr hansi,
Jab jeevan ki raahein theen, har pal nayi-nayi.
मासूमियत थी आँखों में, और दिल में न था कोई डर,
काश! लौट आए वो पल, बस एक बार फिर।
Masoomiyat thi aankhon mein, aur dil mein na tha koi dar,
Kaash! laut aaye wo pal, bas ek baar phir.
न था कल की फ़िक्र, न था आने वाले कल का गम,
कितना सुकून था, जब बच्चे थे हम।
Na tha kal ki fikr, na tha aane wale kal ka gham,
Kitna sukoon tha, jab bachche the hum.
बचपन की गलियों में फिर से जाना है,
टूटी हुई खिलौनों से खेलना है।
Bachpan ki galiyon mein phir se jaana hai,
Tooti hui khilono se khelna hai.
झूठे रूठना, झूठे मनाना,
वो बचपन के दिन, अब याद आते हैं।
Jhoothe roothna, jhoothe manana,
Wo bachpan ke din, ab yaad aate hain.
जब दिल था साफ़ और कोई शिकायत न थी,
सच कहते हैं, वो बचपन की जन्नत थी।
Jab dil tha saaf aur koi shikayat na thi,
Sach kehte hain, wo bachpan ki jannat thi.
उम्र बढ़ी, तो दिल पे बोझ बढ़ गया,
वो बचपन का खिलखिलाना, जाने कहाँ खो गया।
Umr badhi, to dil pe bojh badh gaya,
Wo bachpan ka khilkhilana, jaane kahan kho gaya.
वो बेफ़िक्र हो कर सो जाना,
और बिना वजह मुस्कुराना।
Wo befikr ho kar so jana,
Aur bina wajah muskurana.
कभी गुड्डे-गुड़ियों की शादी, कभी चोर-पुलिस का खेल,
ज़िंदगी थी तब, सिर्फ़ और सिर्फ़ मौज-मस्ती का मेल।
Kabhi gudde-gudiyon ki shaadi, kabhi chor-police ka khel,
Zindagi thi tab, sirf aur sirf mauj-masti ka mel.
जब गिरते थे तो माँ की गोद में पाते थे सुकून,
वो मासूमियत, आज भी ढूंढती है ये दिल और जूनून।
Jab girte the to maa ki god mein paate the sukoon,
Wo masoomiyat, aaj bhi dhoondhti hai ye dil aur junoon.
छोटी-छोटी ख़्वाहिशें, और बड़े-बड़े सपने,
याद आती हैं वो गलियाँ, जहाँ रहते थे सब अपने।
Choti-choti khwahishein, aur bade-bade sapne,
Yaad aati hain wo galiyan, jahan rehte the sab apne.
जब डर नहीं था दुनिया का, और बेफिक्री थी सबसे बड़ी दौलत,
काश! फिर से जी पाते वो पल, वो बचपन की मासूमियत।
Jab dar nahi tha duniya ka, aur befikri thi sabse badi daulat,
Kaash! phir se jee paate wo pal, wo bachpan ki masoomiyat.
आँखों में चमक, दिल में सादगी,
काश! वो बचपन फिर से आ जाए कभी।
Aankhon mein chamak, dil mein saadgi,
Kaash! wo bachpan phir se aa jaaye kabhi.
वो मिटटी के घर बनाना, और फिर उसे मिटाना,
बचपन की बातें, अब भी याद आती हैं।
Wo mitti ke ghar banana, aur phir use mitana,
Bachpan ki baatein, ab bhi yaad aati hain.
दिल में न थी कोई छल-कपट की भावना,
बस था वो मासूम बचपन, और कुछ भी न था पाना।
Dil mein na thi koi chhal-kapat ki bhavna,
Bas tha wo masoom bachpan, aur kuch bhi na tha paana.
जब रात को चाँद से बातें करते थे,
हम बच्चे थे, तो ऐसी शरारतें करते थे।
Jab raat ko chand se baatein karte the,
Hum bachche the, to aisi shararatein karte the.
वो दोस्तों के साथ शरारतें करना,
और फिर हंसकर सब कुछ भूल जाना।
Wo doston ke saath shararatein karna,
Aur phir hanskar sab kuch bhool jana.
यादें हैं बचपन की, जो कभी धुंधली नहीं होंगी,
वो मासूमियत है, जो हमेशा दिल में रहेगी।
Yaadein hain bachpan ki, jo kabhi dhundhli nahi hongi,
Wo masoomiyat hai, jo hamesha dil mein rahegi.
वो कागज़ की कश्तियां, वो मिटटी के खिलौने,
बचपन के वो दिन, अब बस सपनों में ही होते हैं।
Wo kaagaz ki kashtiyan, wo mitti ke khilone,
Bachpan ke wo din, ab bas sapno mein hi hote hain.
जब खिलौने थे सबसे बड़े खज़ाने,
और दोस्त थे हमारे अपने।
Jab khilone the sabse bade khazane,
Aur dost the hamare apne.
वो दादी की कहानियों में खो जाना,
और परियों की दुनिया में चले जाना।
Wo dadi ki kahaniyon mein kho jana,
Aur pariyon ki duniya mein chale jana.
बचपन की गलियां, वो खिलखिलाती हँसी,
काश, फिर से जी पाऊं वो बेफिक्री।
Bachpan ki galiyan, wo khilkhilati hansi,
Kaash, phir se jee paoon wo befikri.
Final Words on बचपन की मासूमियत शायरी
यह शायरी का सफर हमें यह सिखाता है कि जीवन में कितनी भी जिम्मेदारियां आ जाएं, हमें अपने अंदर की मासूमियत को कभी नहीं खोना चाहिए। बचपन एक ऐसा अनमोल तोहफा है, जिसकी यादें हमें हमेशा मुस्कुराने की वजह देती हैं। ये शायरी सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि हर उस व्यक्ति के दिल की आवाज़ हैं जो अपने बचपन की गलियों में एक बार फिर से खो जाना चाहता है। उम्मीद है कि यह शायरी कलेक्शन आपको अपने बचपन की मीठी यादों में ले जाएगा और आपके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लाएगा।
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