जिंदगी और मौत पर शायरी – Zindagi aur Maut Par Shayari

जिंदगी और मौत पर शायरी – हमारी ज़िंदगी एक सफ़र की तरह है, जिसमें कई मोड़ आते हैं। कभी हम हँसते हैं, कभी रोते हैं, और हर पल कुछ नया सीखते हैं। इसी सफ़र में एक सच्चाई और भी है, और वो है मौत।

जिंदगी और मौत का रिश्ता बहुत गहरा है। जिंदगी हमें जीने का मौका देती है, और मौत हमें इस दुनिया से सुकून से विदा करती है। यह पोस्ट जिंदगी और मौत के इन्हीं खट्टे-मीठे अहसासों को शायरी के रूप में बयान करती है।

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जिंदगी और मौत पर शायरी

ज़िंदगी के सफ़र में कई मोड़ आते हैं,
कुछ ख़्वाबों के साथ तो कुछ छोड़ जाते हैं।

एक सांस का खेल है ये ज़िंदगी,
कभी खुशी, कभी गम की कहानी।

मौत का डर नहीं, ज़िंदगी की प्यास है,
हर लम्हा जीना, यही दिल की आस है।

ज़िंदगी ने तो सिर्फ़ जीना सिखाया है,
मौत ने बताया, ख़ामोशी में सुकून है।

रात की तन्हाई में एक बात सोचता हूँ,
ज़िंदगी और मौत में क्या फ़र्क़ है।

हर सुबह एक नई कहानी लिखती है ज़िंदगी,
हर रात मौत एक अधूरा ख़्वाब बन जाती है।

ज़िंदगी की दौड़ में सब पीछे छूट जाते हैं,
मौत के रास्ते पर सब अकेले ही चलते हैं।

ये ज़िंदगी भी अजीब है, कभी हंसाती है,
कभी रुलाकर, मौत का रास्ता दिखाती है।

ख़ुद को तलाशते-तलाशते थक गया हूँ,
लगता है ज़िंदगी में अब मौत ही आराम है।

ज़िंदगी की किताब का हर पन्ना खाली है,
मौत की स्याही से उसे भरना चाहता हूँ।

ज़िंदगी की हक़ीक़त और मौत का फ़साना,
दोनों को समझ पाना, कहाँ है आसान।

ज़िंदगी एक सफ़र है, मौत मंज़िल का पता,
दोनों के दरमियान ही, हर रिश्ता है बना।

मौत तो एक बहाना है, जाने वालों के लिए,
ज़िंदगी तो बस एक मौका है, कुछ कर दिखाने के लिए।

जीने की चाहत में, मौत से डर कैसा,
जब तक साँसें हैं, तब तक मंज़र कैसा।

ज़िंदगी की किताब में, मौत आख़िरी पन्ना है,
पर उस पन्ने के बाद भी, एक नया सफ़र है।

मौत की आहट में भी, ज़िंदगी का संगीत है,
जब तक साँस है, हर पल एक नई जीत है।

ज़िंदगी की डोर जब, हाथों से छूटती है,
मौत की परछाई, तब जाकर रूठती है।

ये ज़िंदगी का खेल है, मौत इसका नियम है,
जो खेल गया दिल से, वो कभी नहीं हारा है।

ज़िंदगी के हर मोड़ पर, मौत का है साया,
पर जीने की हिम्मत, ही तो है असली माया।

मौत तो सबको है आनी, फिर क्यों इतना घबराना,
जी लो हर लम्हा ऐसे, जैसे बस आज ही है ज़माना।

ज़िंदगी और मौत का, कैसा है ये संगम,
एक ओर आशा है, दूसरी ओर है ग़म।

ज़िंदगी का हर रंग, मौत के बाद ही तो है,
जब ख़त्म हो ये सफ़र, तभी तो सुकून है।

मौत के बाद भी, नाम रहेगा उनका,
जो ज़िंदगी में कुछ, यादगार कर गए।

ज़िंदगी की धूप में, मौत की छाँव है,
बस यही दो चीज़ें, हर जगह साथ हैं।

ज़िंदगी की उलझनें, मौत सुलझा देती है,
हर एक दर्द को, वो सुला देती है।

मौत को भी है चाहत, ज़िंदगी से मिलने की,
पर ये तो एक कहानी है, बस ख़त्म होने की।

ज़िंदगी के बाज़ार में, मौत का कोई मोल नहीं,
ये तो वो सच्चाई है, जिसका कोई तोड़ नहीं।

जब तक है ज़िंदगी, तब तक उम्मीद है,
जब मौत है, तब हर दर्द से मुक्ति है।

ज़िंदगी की धड़कनें, मौत की खामोशी है,
इन दोनों के बीच में, ये दुनिया की शोख़ी है।

ज़िंदगी की लहरों पर, मौत की है सवारी,
जो इस सफ़र में है, वही तो है सबसे बड़ा खिलाड़ी।

Zindagi aur Maut Par Shayari

Maut aur zindagi ka safar ek jaisa hai,
Bas ek mein raushni hai, ek mein andhera.

Zindagi ka har pal ek naya imtihaan hai,
Maut ka aana ek sacha aaram hai.

Zindagi ki subah mein ek geet hai,
Maut ki shaam mein ek khamoshi.

Zindagi ko jeene ka saleeka nahi aaya,
Maut ne aakar sab kuch sikha diya.

Zindagi ka aaina kabhi jhooth nahi bolta,
Maut ki parchai kabhi chhodti nahi.

Zindagi to ek bhool bhulaiya hai,
Maut uski aakhri raah hai.

Zindagi ka har faisla hum khud lete hain,
Maut ka faisla upar wala leta hai.

Zindagi ka sabse mushkil safar,
Maut ka sabse aasan mod hai.

Zindagi ke saaye mein jeena seekha,
Maut ki aahat par muskurana seekha.

Zindagi ka har din ek naya rang,
Maut ka har pal ek naya daang.

Zindagi ki kashti toofano mein dolti hai,
Maut ki kashti kinare par pahunchati hai.

Zindagi ki raushni mein chhoote hain rishte,
Maut ki shaam mein milte hain apne.

Zindagi to ek kahani hai,
Maut uski aakhri nishani hai.

Zindagi ka har khwab pura nahi hota,
Maut ka har khwab sach hota hai.

Zindagi ki khushiyan bhi ajeeb hain,
Maut ka gam bhi anokha hai.

Zindagi ke raastein kanton se bhare hain,
Maut ke raaste phoolon se saje hain.

Zindagi to ek gehra samundar hai,
Maut uska gehra kinara hai.

Zindagi ki subah mein phool khile hain,
Maut ki shaam mein sitare hain.

Zindagi ki har saans mein ummeed hai,
Maut ki har saans mein sukoon hai.

Zindagi ki parchai se darta hoon,
Maut ki aahat se muhabbat karta hoon.

Zindagi ki kahani mein kai kirdaar hain,
Maut ki kahani mein bas ek hi hai.

Zindagi ka maksad pura nahi hota,
Maut ka safar akela nahi hota.

Zindagi ki uljhanon se pareshan hoon,
Maut ke suljhe raste ki talaash hai.

Zindagi to ek khushboo hai,
Maut uska rang hai.

Zindagi ki subah se milkar khush hoon,
Maut ki raat ka intezar hai.

Zindagi ki zameen par hum akele aaye hain,
Maut ki asman mein hum sab ek hain.

Zindagi ka har lamha ek sabaq hai,
Maut ka har pal ek waqt hai.

Zindagi ki kitab mein naye panne hain,
Maut ki kitab mein aakhri panne hain.

Zindagi ke har sawal ka jawab nahi,
Maut ke har sawal ka jawab hai.

Zindagi ki raushni mein aankhein khuli,
Maut ki shaam mein aankhein band.

Zindagi ka safar to pura hua nahi,
Maut ka rasta abhi aasan nahi.

Zindagi ki kahani mein abhi bhi baaki hai,
Maut ki subah abhi bhi aani hai.

Zindagi ki dhoop mein thandi chaon hai,
Maut ki shaam mein ek sukoon ki raat hai.

Zindagi ki mehak se pyar hai,
Maut ki khushboo se aaram hai.

Final Words on Zindagi aur Maut Par Shayari – ज़िंदगी और मौत, दोनों ही इस दुनिया का हिस्सा हैं। जिंदगी हमें सिखाती है कि हर पल को पूरी तरह से जीना चाहिए, और मौत हमें याद दिलाती है कि सब कुछ हमेशा नहीं रहता। इन जिंदगी और मौत पर शायरी के ज़रिए हमने जिंदगी की खूबसूरती और मौत की शांति को समझने की कोशिश की है। उम्मीद है कि ये शब्द आपके दिल को छू लेंगे और आप जिंदगी और मौत के इस गहरे रिश्ते को महसूस कर पाएंगे।

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